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#ब्रैकिंग बहस : उदारवाद vs समाजवाद

 ब्रेकिन बहस : उदारवाद vs समाजवाद "टीवी पर आजकल समाचार कम आते है और बहस ज्यादा होती है। समाचार दिखाना बहुत खर्चे का काम है, बहस में कुछ नहीं लगता, दो तीन निठल्ले, बेकार लोगो को जमा करो, स्टूडियो में भी बुलाने की जरूरत नहीं है, घर से ही यह निठल्ले बहस से जुड़ जातें है, दमड़ी का खर्चा नहीं और घंटो तक बक-बक करते रहो, विज्ञापन भी मिल जाते है। हींग लगे, ना फ़िटकरी और रंग चोखा। यही सोच कर आज हमने भी दो प्रत्याशी को अपनी बहस में बुलाया है। तो आज की बहस शुरू करते है, आज हमारे प्रत्याशी है उदारवाद और समाजवाद। दोनों अपना अपना पक्ष रखेंगे और हमें बताएँगे की कौन बेहतर है। दोनों बारी बारी से अपना पक्ष रखेंगे, टीवी की बहस जैसी कुकरहाव यहाँ नहीं होगी। दोनों पक्ष यह समझ ले कि, बहस अगर कुकरहाव के स्तर पर पहुंची तो बहस को बीच में ही बंद कर दिया जायेगा। आखिर में कौन सही हैं और कौन गलत यह भी लेखक तय करेगा। जैसे टीवी कि बहस में टीवी चैनल मालिक कि मर्जी चलती है वैसे ही यहाँ भी लेखक (जो अपने आप को बहुत बड़ा अकलमंद की दुम समझता है) का निर्णय सर्वोपरिय और सर्वमान्य होगा। हमारे देश में लोकतंत्र या उदारवाद है इ